स्तनों के नीचे आने वाले रैश से कैसे पाएं छुटकारा
1. ठंडा सेंक
ठंडे सेंक से कई लक्षणों जैसे स्तनों के नीचे आने वाले रैशेस में होने वाली खुजली और जलन से आराम मिलता है।
एक महीन सूती कपड़े में कुछ बर्फ़ लें तथा इसे प्रभावित स्थान पर लगभग 10 मिनिट तक रखें। कुछ समय के लिए रुकें तथा फिर दोहरायें।
अन्य विकल्प यह है कि स्किम मिल्क और ठंडे पानी की बराबर मात्रा मिलाकर उससे सेंकें। इससे सूजन कम होगी तथा खुजली से भी आराम मिलेगा।
इसके अलावा ठंडे पानी से नहायें। इससे त्वचा के रोम छिद्र बंद होने में सहायता मिलेगी। इससे पसीना कम आएगा तथा रैशेस भी कम आयेंगे।
2. कॉटन
स्तनों के नीचे आने वाले रैशेस से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है कि स्तनों के नीचे पसीना न जमने दिया जाए।
नमी को सोखने के लिए अपने स्तनों के निचले भाग और त्वचा के बीच बैरियर की तरह कॉटन का एक टुकड़ा रखें। आप सॉफ्ट पेपर टॉवेल या डिनर नेपकिन का उपयोग भी कर सकते हैं। इसके अलावा हलके कपड़े पहनें, प्राथमिकता से सूती और प्राकृतिक रेशों से बने हुए जो नमी को सोखने में सहायक होते हैं तथा आपके शरीर को पसीने से मुक्त रखते हैं।
3. विनेगर
कभी कभी आपके कपड़ों में केमिकल का कोई अवशेष रह जाता है जिसके कारण आपके स्तनों पर रिश आ सकता है। विनेगर इस समस्या को दूर कर सकता है। आधी बाल्टी गरम पानी में आधा कप विनेगर मिलाएं। अपनी ब्रा धोने के लिए इस पानी का उपयोग करें तथा उसे सूरज की रोशनी में सुखाएं।
खुजली पर त्वचा पर लगाने के लिए ऐप्पल सीडर विनेगर भी एक अच्छा विकल्प है। प्रभावित त्वचा को साबुन के पानी से धोएं, फिर इसे ठंडे पानी से धोएं और थपथपाकर सुखाएं। एक टी स्पून ऐप्पल सीडर विनेगर को एक कप पानी में मिलाएं तथा इसे खुजली वाले स्थान पर लगायें। इसे प्रतिदिन दो से तीन बार करें। यदि ऐसा करने से कोई परेशानी हो तो इसे रोक दें।
4. कॉर्न स्टार्च
ब्रेस्ट रैश के कारण होने वाली जलन और खुजली को दूर करने में कॉर्न स्टार्च बहुत प्रभावी है। यह त्वचा को सूखा रखने में मदद करता है। हालाँकि फंगल रैश होने पर पावडर का उपयोग करें क्योंकि कॉर्न स्टार्च फंगी के लिए खाद्य पदार्थ है।
प्रभावित त्वचा को साबुन तथा पानी से धोएं तथा फिर टॉवेल की सहायता से हलके हाथ से पोछ लें। जब पूरी तरह सूख जाए तो उस पर थोडा कॉर्न स्टार्च भुरकें। इसे दिन में कम से कम दो बार करें जब तक आप इस समस्या से पूर्ण रूप से निजात न पा लें।
ध्यान रखें: गीली या नाम त्वचा पर कॉर्न स्टार्च न लगायें क्योंकि इससे फंगल इंफेक्शन (संक्रमण) का खतरा बढ़ जाता है।
5. नारियल का तेल
नारियल का तेल त्वचा के लिए लाभकारी होता है तथा इसमें चिकित्सीय गुण भी होते हैं तथा इस प्रकार रैशेस से आराम पहुंचाता है। इसके अलावा इसमें चिकनाई का गुण होता है जिसके कारण यह घर्षण कम करने में सहायक होता है। इस घर्षण के कारण ही ब्रेस्ट के नीचे रैशेस आते हैं। इसके अलावा इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो संक्रमण को रोकने में सहायक होते हैं।
एक्स्ट्रा विर्जिन कोकोनट ऑइल को प्रभावित क्षेत्र पर लगायें तथा इसे पूर्ण रूप से त्वचा में अवशोषित होने दें। इसे दिन में दो से तीन बार करें जब तक कि रैशेस पूर्ण रूप से ठीक न हो जाएँ।
6. कैलामाइन लोशन
ब्रेस्ट रैश के कारण होने वाले खुजली से आराम पाने के लिए तथा घाव भरने की प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए कैलामाइन लोशन का उपयोग किया जा सकता है। यह उस स्थान को सूखा रखने में सहायक होता है तथा संक्रमण की संभावना को कम करता है।
प्रभावित त्वचा को हलके साबुन और गुनगुने पानी से साफ़ करें। इस स्थान को टॉवेल से सुखाएं। कॉटन बॉल (रुई) की सहायता से कैलामाइन लोशन लगायें। इसे दिन में कई बार दोहरायें।
7. टी ट्री ऑइल
टी ट्री ऑइल में एंटीफंगल गुण होते हैं अत: इसका उपयोग रैशेस के उपचार में किया जा सकता है। यह फंगस और इंफेक्शन की वृद्धि को भी रोकता है।
टी ट्री ऑइल की छह बूंदों में चार चम्मच ऑलिव ऑइल मिलाएं। इस तेल में कॉटन बॉल डुबोएं तथा इसे रैशेस पर लगायें। प्रभावित स्थान पर हलके हाथों से मालिश करें ताकि तेल त्वचा में गहराई तक पहुँच जाए। नहाने के तुरंत बाद और सोने से पहले यह करें। सामान्यत: कुछ ही दिनों में आपको सकरात्मक परिणाम दिखने लगेंगे।
ध्यान दें: यदि आप टी ट्री ऑइल बिना पतला किये को सीधे त्वचा पर लगायेंगे तो इससे त्वचा को तकलीफ़ हो सकती है।
8. एलो वीरा
एलो वीरा ब्रेस्ट के नीचे आने वाले रैशेस में होने वाली खुजली और जलन से राहत पहुंचाने में सहायक होता है। एलो वीरा की पत्तियों से ताज़ा रस निकालें तथा इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। इसे लगभग 20 मिनिट तक लगा रहने दें। आपको इसे धोने की आवश्यकता नहीं है।
आप एलोवीरा जेल के साथ हल्दी मिला कर भी लगा सकते हैं। इसे लगभग 20 से 30 मिनिट तक लगा रहने दें तथा बाद में धो डालें।
9. लहसुन
लहसुन की कुछ कलियों को रात भर ऑलिव ऑइल (जैतून के तेल) में भिगोकर रखें। अगले दिन इस तेल को प्रभावित स्थान पर लगायें तथा कुछ देर ऐसे ही लगे रहने दें और बाद में धो डालें। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए दिन में दो से तीन बार यह उपचार करें। तेल के स्थान पर आप कुटी हुई या पेस्ट की हुई लहसुन का उपयोग भी कर सकते हैं। इसके अलावा घाव भरने की प्रक्रिया को तीव्र करने के लिए अपने खाने में में कच्चे या पके हुए लहसुन की मात्रा बढ़ाएं।
10. नीबू
नीबू के रस में विटामिन सी होता है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है तथा यह फंगल संक्रमण की वृद्धि को रोकने में सहायक होता है और घाव भरने की प्रक्रिया को तीव्र करता है।
एक चम्मच नीबू के रस में तीन चम्मच पानी मिलकर उसे पतला बनायें। इसे प्रभावित त्वचा पर लगायें तथा सूखने दें। दो चम्मच नीबू का रस और कच्चा शहद भी रैशेस पर लगाया जा सकता है। इनमें से कोई एक उपचार दिन में दो बार करें।